सोमवार, 20 अप्रैल 2009

दरस तुम्हारा जो न मेले प्रभु
अबकी इस जीवन में ,
मैं न तुम्हें पा सकी ,
बात यह याद रहे
पर मन में ।
भूल न जाऊँ , पीडा पाऊं , सपने और सायन में ।

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