शनिवार, 18 अप्रैल 2009

राष्ट्र भक्ति या राष्ट्र मित्र

मुझे भारतीय होने पर गर्व है , उसके बाबजूद मैं नही मानती की मैं राष्ट्र भक्त हूँ ।
मुझे लगता है की राष्ट्र मित्र एक व्यापक धारणा है जिसे प्रचारित किए जाने की जरुरत है ,
हमें एक एसा मित्र बनना चाहिए जो सिर्फ़ इस मुल्क के बादशाह की मल्कियत न होकर एक तरक्की पसंद अबाम हो जो न सिर्फ़ अपने मित्र रूपी राष्ट्र का अदब करता हो बल्कि उस पर फक्र भी रखता है , पर साथ ही साथ अपने मुल्क की बुराई , एबम सुधार की गुनजायस के प्रति भी उतना ही संजीदा एबम फ़िक्र मंद है ।
इसके लिए बह देश की उपलब्धि या इसके नागरिकों की उपलब्धि पर तो आनंदित होता ही है पर साथ ही साथ उसकी कमीयों पर भी खुल कर चर्चा करता है उसे क्रेटीसाईंस करता है, एबम बेहिचक उन्हें स्वीकार करके उन्हें सुधारने को प्रयत्न शील होता है ।
एसे ही समाज की स्थापना के लिए हम सभी को प्रयास करना होगा ।

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